।।पत्तों से सजी डाली ।। "" पतझड़ ना समझ की डाल से बिछड़ जाऊंगा आशा रख नई कोपले बन फिर डाल पर आऊंगा बहार तो आती जाती रहेंगी में सदा तेरे साथ मुस्कराऊंगा मेरे होने से वन उपवन महकेगा हवा संग मिल नए तराने गाऊंगा ऊंची शाखाओं को फिर से सजाऊंगा लचक इधर-उधर मस्त पवन चलाऊंगा रंगीन फिजाओं को फिर से चमकाऊंगा फूलों संग मिलकर जहां को सजाऊंगा पतझड़ ना समझ डाल से बिछड़ जाऊंगा आशा रख नई कोपले बन फिर डाल पर आऊंगा ।।"" ।।kanchan Yadav।। #leaf #पत्तों से सजी डाली