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Unsplash तुम्हारी उलझी कहानी का किरदार नहीं मैं त

Unsplash तुम्हारी उलझी कहानी का किरदार नहीं मैं 
तुम पर जो हक दिखाए हकदार नहीं मैं 
मुझे खुद को बनाने में वर्षों लगे है आखिर 
मलाल सोचते हो तो वफादार नहीं मैं 
कभी तलाश पाओ खुद को तो बोलना 
मैं तो मुड़ कर देखूं, मगर खुद्दार नहीं मैं

©कुमार दीपेन्द्र #Book  poetry in hindi Aaj Ka Panchang poetry in english metaphysical poetry poetry on love
Unsplash तुम्हारी उलझी कहानी का किरदार नहीं मैं 
तुम पर जो हक दिखाए हकदार नहीं मैं 
मुझे खुद को बनाने में वर्षों लगे है आखिर 
मलाल सोचते हो तो वफादार नहीं मैं 
कभी तलाश पाओ खुद को तो बोलना 
मैं तो मुड़ कर देखूं, मगर खुद्दार नहीं मैं

©कुमार दीपेन्द्र #Book  poetry in hindi Aaj Ka Panchang poetry in english metaphysical poetry poetry on love