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deependrajha9423
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कुमार दीपेन्द्र

कलम से क्रांति लाना मेरा प्रथम उद्देश्य 🤟🙏💖

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कुमार दीपेन्द्र

बीते समय से आधुनिक का दौर 
युग कौतूहल को सम्मान दे रही है 
होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी 
शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है 

इंतजार है बेबाक सा द्वंद युद्ध का भी 
मौन होना जीत का फरमान दे रही है 
दफ्तरों से निकलते महिलाओं का झुण्ड 
शिक्षित समाज का ये प्रमाण दे रही है 

किसी श्वेत पत्र पर लिखना भी होगा 
लेखनी भी उड़ने का अरमान दे रही है 
देवी पूजन सर्वप्रथम हो समाज में अब 
शिक्षित समाज को ये अभिमान दे रही है 

विमानों को उड़ाते मेरे समाज की बेटी
 तभी महिला सपनों को उड़ान दे रही है 
होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी 
शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है ।।

©कुमार दीपेन्द्र #Woman #girl
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कुमार दीपेन्द्र

White हैसियत कम पर अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है
सुना था नेकी करने से दुनिया जानती है
आजकल लुटेरों की भी पहचान बहुत है

ख्वाबों में देखे कुछ बड़े ख्वाब है
पता चला ये ख्वाब भी बेईमान बहुत है
सामने से गुजरते है कुछ लोग ही
देखने से लगता है उनमें ईमान बहुत है

हैसियत कम पर अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है

©कुमार दीपेन्द्र #Dosti #Life #Goals
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कुमार दीपेन्द्र

रातें किसी की याद में कटती है
दिन भी दफ्तर ही खा जाता है
कुछ देर ही गहरी नींद तो हो
फिर शुरू ये दिन हो जाता है 

 मन सोच विचार में लगा ही रहता
कुछ ना कुछ हां भी हो जाता है
एक ही पड़ाव बस पड़ता स्वप्न का
फिर शुरू ये दिन हो जाता है

गांव समाज सभी मित्र है बिछड़े
जिन्हे सोच के ही मन भर जाता है
बचपना बीत गई तो बड़े हो गए है
ये मानव क्षण भर में ही मर जाता है

कुछ ख्वाब सहेजे कुछ बिछड़ गए
एक लक्ष्य को ऐसे कोई पा जाता है
एक अरसे के बाद सोचा मुस्कुरा लूं
 ये मौत का भी डर खा जाता है

रातें किसी की याद में कटती है
दिन भी दफ्तर ही खा जाता है
कुछ देर ही गहरी नींद तो हो
फिर शुरू ये दिन हो जाता है

©कुमार दीपेन्द्र #MomentOfTime #Life #SAD #follow
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कुमार दीपेन्द्र

                


रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है
जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है
ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं

ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका
ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका
लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए
ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका

ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए
ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए
ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए
जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए

टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है 
सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है
ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल
बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है

तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना
अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना
होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं।


होली की शुभकामनाएं ❤️🎉

©कुमार दीपेन्द्र #Holi

11 Love

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कुमार दीपेन्द्र

ये कैसा बावलापन है मेरा
ये कैसी मेरी रूहदारी है
मैं खुद को आपका मान बैठा हूं
बस बताना आपकी जिम्मेदारी है

ये कश्मकश जिंदगी की उलझे हुए
इससे निकलना भी समझदारी है
मैं खुद को आईने में देख मुस्कुराता हूं
बस बताना आपकी जिम्मेदारी है

©कुमार दीपेन्द्र #romanticstory
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कुमार दीपेन्द्र

मुझको सबसे प्यारा कह लो
या आंखों का तारा कह लो
इतना तो हक बनता ही है
खुद को आप हमारा कह लो

जब भी देखो मुझको देखो
भले पागलपन का नजारा कह लो 
इतना तो हक बनता ही है
खुद को आप हमारा कह लो

©कुमार दीपेन्द्र #Love

Love #लव

12 Love

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कुमार दीपेन्द्र

नींद हो या ख्वाब
होश हो या शबाब
घूंघट हो या नकाब
अमृत हो या शराब
सफर हो या ठहराव
कहानी हो या किताब
शुरुआत हो या पड़ाव
गरीबी हो या औकात
बेबाकी हो या बात
खुशी हो या सौगात
आग हो या आपात
नहीं नहीं ये हमेशा साथ नहीं रहते
साथ रहते भी तो सत्य सवात नही रहते

©कुमार दीपेन्द्र #sunrisesunset
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कुमार दीपेन्द्र

एक वैरागी को अध्ययन करो तुम
जीवन रस को स्मरण करो तुम
ए कन्या के हठ को पूर्ण करने
वैरागी से चला एक मानव बनने
प्रेम की परिकाष्ठा में सम्मलित होने
मुख से अपने वियोग का विष पीने 
पने शेखर पर चंद्र पुष्प को खिलने 
 एक वैरागी चला प्रीतम से मिलने

भ्रम कुछ ऐसा हुआ कालिख आंचल में
प्रेरित मन बैठ गया माया संकुचन में
महाकाल के करुण स्वर की प्रहरिया
विपन्न प्रेम मां सती के अभिमान हुए
देवों के देव महादेव महाकाल मेरे
प्रेम मां सती के कारण देख लो
 महादेव हमारे ईष्ट से इंसान हुए……


महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 🙏🙏

©कुमार दीपेन्द्र #mahashivaratri
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कुमार दीपेन्द्र

सफर की आखिरी मुकाम में हूं
जिंदगी तुझसे बेहतर के इंतजाम में हूं
कितना ही सताया गया हूं आखिर तक 
शुक्र मनाओ की अभी तक इंसान में हूं

©कुमार दीपेन्द्र #traintrack
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कुमार दीपेन्द्र

काश कभी तो ऐसा हो
तुम भी मेरे जैसा हो
मैं भी खुद को महसूस करूं
तुम भी पूछो कभी कैसा हो
काश कभी तो ऐसा हो
तुम भी मेरे जैसा हो

©कुमार दीपेन्द्र #snowpark
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