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गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले चले भी आओ कि

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले 

चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले 

क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो 

कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले 

कभी तो सुब्ह तिरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़ 

कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले 

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही 

तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले

©Deep Chakraborty
  लबो मे रंग भरे ही चले गए

लबो मे रंग भरे ही चले गए #शायरी

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