मैं लौटूंगा अंधेरों की क्या मजाल हैं मैं भोर बनकर लौटूंगा कतरा समझा मुझे अब मैं कुछ और बनकर लौटूंगा जो समझते हैं कि अब मेरा वक्त नहीं रहा इंतजार करना मैं ताकत-ऐ-पुरजोर बनकर लौटूंगा अभी जितना चाहे तू मुझे सता ले ऐ ज़िंदगी मैं जब भी लौटूंगा घटा-ऐ-घनघोर बनकर लौटूंगा हो न मायूस तू ये ज़िंदगी का ठहराव देखकर यकीं हैं "मारी" हां मैं नया दौर बनकर लौटूंगा ©ML Suryavanshi #मैं_लौटूंगा