एक सपना था मेरा, फौज़ में जानें का, इस देश के लिए, अपना प्रेम जताने का, मातृभूमि का अपनी, ऋण चुकाने का हालातों के सामने पर, बस किसका चलता हैं, जो तुम चाहों, हमेशा वहीं नहीं मिलता हैं, वक्त के साथ साथ, सपनों का नया फूल खिलता हैं मेरे दिल की बगिया में भी, वो फूल नया खिला है, जीने के लिए मुझको भी, ख़्वाब नया मिला है, पर बिन तिरंगे के मार जाऊं, उसमें भी तो गिला हैं जो है सब सह लूं, पर दिल में जो कसक है, उसको कैसे मैं मिटाऊं, तू ही बता ए वतन, तेरे लिए ऐसा क्या कर जाऊं, जो लिपट तिरंगे में, मर कर अमर हो जाऊं ©Aashu Baliyan #एक_सपना #IndianArmy