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इस कहानी में अब और क्या नया मोड़ आएगा, सब खत्म हो ग

इस कहानी में अब और क्या नया मोड़ आएगा,
सब खत्म हो गया अब क्या बच पायेगा,
वो कच्चा मकान जो बारिश में ढेह गया,
कल रात उसका मालिक छत से कूद कर मर गया,
बेबस था बेचारा एक पैर से लंगड़ा,
घर की मरम्मत को सरकारी दफ़्तर के चक्कर लगा रहा था,
मदद ना मिली वो मकान ढेह गया,
कोई बचा ना पाया, उसका बच्चा दब कर मर गया,
पत्नी सदमे में थी बच्चे के गम में वो भी चल बसी,
कल सुबह घर की मरम्मत का पैसा आया था,
पैसा देख वो बहुत रोया- चिल्लाया था,
बोला साहब अब इसका क्या करेंगे,
जिसके लिए घर मरम्मत करना था,
वो छोड़ कर चले गए,
आप जाइये साहब इसकी चाय पी लीजिये,
कल शाम वो कुछ बड़बड़ता रहा,
"मैं भी आ रहा हुँ "कहकर छत से छलांग लगा दिया,
मैंने सुना सब कह रहे थे इसका अंतिम संस्कार कौन करेगा,
इसका तो दुनियां में कोई ना रह गया,
कोई शोक प्रकट कर रहा था, कोई सरकार को दोष दे रहा था,
लाश यूँही ही घंटो पड़ी रही,
कोई हाथ लगाने को आगे ना बढ़ रहा था,
ऐसी दुनियां में जीने का भी क्या फायदा,
जहाँ इंसानियत से किसी का दूर-दूर तक नहीं वास्ता |

©Sonam kuril
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