छोड़ना सीखिये .......... छोड़ना सीख लिया जीवन में,यदि तुमने, तो तुम भी सुखी रह सकते हो,वैसे भी एक दिन सब कुछ छूट ही जाना है,श्रीराम ने राजपाट छोड़ा अयोध्या छोड़ी, चित्रकूट छोड़ा,लंका जीतकर, फिर लंका छोड़ी मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। श्रीकृष्ण ने भी माँ और पिता को छोड़ा,गोकुल छोड़ा, राधा को छोड़ा गोपियों को , ग्वाल, बाल, संगी साथी,मथुरा को भी छोड़ा रणछोड़ कहलाये। सिद्धार्थ ने भी ,राजमहल, पत्नी और बच्चे को छोड़ा बुद्ध कहलाये।,जितना ज्यादा पकड़ोगे उतने ही उलझते जाओगे, इसलिए आज से ही ,छोड़ने की कला अपनाइये और धीरे धीरे अपनी आसक्तियों को माया, ममता,मोह, लोभ, क्रोध,राग, द्वेष छोड़ने की खुद से शुरूआत करवाइये। इस शरीर से चिपकी आत्मा भी,इसे छोड़कर एक दिन चली जाएगी फिर आपकी पकड़ी हुई चीजें,स्वतः ही छूट जायेंगी लेकिन साथ फिर भी आपके जायेंगी। इसलिए छोड़िये इन्हें,और खुद भी छूट जाइये जीवन का आनंद भरपूर उठाइये,मस्ती में 'उसकी' मगन हो जाइये और हो सके तो फिर,'उसके' ही गुण गाइये छोड़कर सब कुछ,फूल से हल्के होकर सदा ही बस खिलखिलाइये,,मुस्कुराइये और फिजाँओं में खुशबू की तरह बिखर जाइये। ©purvarth #लाइफ़