दिल का दीपक तेल है आँसू दर्द ये मेरा बाती है। जलता हूँ हर रोज मैं फिर भी अँधियारी नही जाती है। ग़म की आतिश याद का धुआँ रह रहकर जल उठता है- साथ में मैं भी जल उठता हूँ आग नहीं बुझ पाती है। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #अँधियारा