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यादों के गहरे साये से आवाज़ आई, "ज़िन्दा हो तुम ?"

यादों के गहरे साये से आवाज़ आई, "ज़िन्दा हो तुम ?"
मैंने कहा, " यही हूँ।"
अजीब प्रश्न था, मग़र जायज़ था।
मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।
क्या वाकई में मैं ज़िन्दा हूँ, या बस ज़िन्दगी को मरने तक निभा रही हूँ।
क्या मैं ज़िन्दा हूँ? क्या हम सब ज़िन्दा हैं?
जिनके लिए काम कर रहे, उनके लिए तो शायद मर चुके।
खुद के लिए भी कहाँ जी रहे, बस मौत की ओर अग्रसर ज़रूर है, ज़िन्दगी को घसीट रहे हैं।
ज़िन्दा नहीं हूँ मैं, ज़िन्दा नहीं हैं हम। मेरे ही एक अपने ने मुझे ये सवाल पूछ कर निःशब्द कर दिया कि साथ रहते हुए भी हम अपनों से दूर हों और इतने व्यस्त रहें कि वो शख़्स हमें ये ताना दे कि ज़िन्दा हो तुम?
Just a thought.

#ज़िन्दा
#गहरे
#अजीब
#जायज़
#मजबूर
यादों के गहरे साये से आवाज़ आई, "ज़िन्दा हो तुम ?"
मैंने कहा, " यही हूँ।"
अजीब प्रश्न था, मग़र जायज़ था।
मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।
क्या वाकई में मैं ज़िन्दा हूँ, या बस ज़िन्दगी को मरने तक निभा रही हूँ।
क्या मैं ज़िन्दा हूँ? क्या हम सब ज़िन्दा हैं?
जिनके लिए काम कर रहे, उनके लिए तो शायद मर चुके।
खुद के लिए भी कहाँ जी रहे, बस मौत की ओर अग्रसर ज़रूर है, ज़िन्दगी को घसीट रहे हैं।
ज़िन्दा नहीं हूँ मैं, ज़िन्दा नहीं हैं हम। मेरे ही एक अपने ने मुझे ये सवाल पूछ कर निःशब्द कर दिया कि साथ रहते हुए भी हम अपनों से दूर हों और इतने व्यस्त रहें कि वो शख़्स हमें ये ताना दे कि ज़िन्दा हो तुम?
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#जायज़
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juhigrover8717

Juhi Grover

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