16.10.2021
सुना है गंगा मैया बरसों से हमारे पाप धोती आई है,
और बरसों से ही धीरे-धीरे मलिनता यों ढोती आई है।
स्वार्थ के चर्म पर पहुँचा मानव पापी बन तो जाता है,
क्या उनकी नम्रता से मानव जाति नम्र होती आई है।
सुना है गंगा मैया के घाट पे सुकून की प्राप्ति होती है,
तो क्या मनुष्यता स्वार्थवश हो पाप ही बोती आई है? #yqhindi#मानवता#तवायफ़#पवित्रता#पाकीज़गी#गंगामैया
22.08.2021
सुना था बचपन में,
मन के भावों को लिखना ही लेखन है।
कितना आसान है बोलना,
मग़र क्या हम मन के भावों को लिख भी पाते हैं?
जो हम बड़े अहंकार से कहते हैं कि हम लेखक हैं,
क्या सच में हम लेखक हैं? #yqhindi#वाहवाही#चकनाचूर#bestyqhindiquotes#लेखन_के_साथ_इन्साफ