मेरी दुनिया शांत थी बड़े धीरज से चल रही थी तनाव भी नहीं रफ्तार भी नहीं थी कहीं पहुंचने की कोई जल्दी भी नहीं थी मेरे पास समय था .. पर्याप्त था और मुझे कोई बेचैनी भी नहीं थी जीवन आँगन मे अमृत घन सदा छाया रहा जो मुझे कडी धूप से ढकता रहा उर क़े मधुबन मे ख़ुशी की कोयल सदा कूकती रही हमदर्दी की मिठास परम्परागत पतन से मुझे बचाती रही लगा मै नए सिरे से नए जन्म का अभिन्दन कर रहा हूं नए सिरे से नए जीवन का अभिन्दन