कोई अपना सा ही है वो मेरा,रहता हरदम ही साथ मेरे, कुछ बोलूं चाहे न बोलूं मैं , वो समझे हर जज़्बात मेरे। ये सच नहीं के ख़ूनी नाते ही होते हैं सबकुछ यहाँ, कुछ गैर भी ऐसे मिलतें हैं जो अपनों से बेहतर यहाँ। उसकी तारीफ़े मैं क्या करुँ? अपना उसे जब कह दिया, वो ख़्वाब जो मेरी आँखों में था, किस्मत ने साकार किया। अपनापन ऐसी दुनिया में मैं पाकर जैसे धन्य हुई, मैं तृप्त हुई उसको पाकर, उससे बेहतर कोई अन्य नहीं। चाहत नहीं लाख़ इंसानों की मुझे दिल बहलाने को, कोहिनूर मिला मेरा मुझको, अब रहा न कुछ भी पाने को। ♥️ Challenge-765 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।