लोग हैं बदहवास देखो तो, गुम है होश-ओ-हवास देखो तो, किसकी झोली में दाम है बोलो, कौन है आम खास देखो तो, सबकी मज़बूरियाँ मुनासिब है, अपने ही आसपास देखो तो, किसी की रात कटी आहों में, कोई मन से उदास देखो तो, कहीं ज़ुगनू सा टिमटिमाये दीया, कहीं जगमग उजास देखो, भाग्य के भरोसे क्योंकर बैठें, कर्म है मेरे पास देखो तो, राजसी ठाठ सभी छोड़ चले, क़जा आई न रास देखो तो, मन हुआ शुद्ध गौतम बुद्ध बने, हुआ घट में प्रकाश देखो तो, एक ही ज़िन्दगी मिली 'गुंजन', करो ख़ुद की तलाश देखो तो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हुआ घट में प्रकाश#