#chaandsifarish
अपने दर्द पर मुस्कुराता हु अच्छा लगता है
अपना गजल गुनगुनाता हूं अच्छा लगता है
अच्छा नहीं लगता जब तेरी आवाज न सुनूं
जब तुझे अपना हाल बताता हु अच्छा लगता है
कड़ी धूप में कपड़ा सूखते हुए उसे मैं देखने
तपती छत पर नंगे पाओ आता हु अच्छा लगता है
ये हिज्र के ज़ख्म नासूर है इलाज न कर हकीम
इन जख्मों पर नाखून मारता हु अच्छा लगता है
उदास होता है अपनी गजलो की वाह वाही पर
मगर रोते हुए दर्द लिखता हु अच्छा लगता है