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पहली दफा पहनी थी साड़ी... शायद स्कूल के किसी छोटे

पहली दफा पहनी थी साड़ी... 
शायद स्कूल के किसी छोटे से समारोह में... 
वो साड़ी थी आजादी की उड़ान की..... 
खुद की इच्छा से बाँधी थी साड़ी.... 
जब पैर फँसें तो सबने कहा, 
जरा संभल कर... 

फिर पहनी... 
वही थी साड़ी पर पहनी थी शादी के बाद... 
इस दफा उसने साड़ी नही... 
साड़ी ने उसे बाधा था... 
आजादी की उड़ान को... 
जमी पर रोक दी गई... 
पर इस बार जब पाव फसे तो सबने कहा...
इतना भी नहीं संभाल सकती...
फकत एक कपड़ा ही था... 
बस मायने बदल गए थे वक़्त के साथ... 
 उन मायनो के साथ... 
एक लड़की की उम्मीदें, जिंदगी, सपने.... 
सब बदल गए थे... 
शायद ये किसी ने देखा ही नहीं...

©purvarth #Saadi
पहली दफा पहनी थी साड़ी... 
शायद स्कूल के किसी छोटे से समारोह में... 
वो साड़ी थी आजादी की उड़ान की..... 
खुद की इच्छा से बाँधी थी साड़ी.... 
जब पैर फँसें तो सबने कहा, 
जरा संभल कर... 

फिर पहनी... 
वही थी साड़ी पर पहनी थी शादी के बाद... 
इस दफा उसने साड़ी नही... 
साड़ी ने उसे बाधा था... 
आजादी की उड़ान को... 
जमी पर रोक दी गई... 
पर इस बार जब पाव फसे तो सबने कहा...
इतना भी नहीं संभाल सकती...
फकत एक कपड़ा ही था... 
बस मायने बदल गए थे वक़्त के साथ... 
 उन मायनो के साथ... 
एक लड़की की उम्मीदें, जिंदगी, सपने.... 
सब बदल गए थे... 
शायद ये किसी ने देखा ही नहीं...

©purvarth #Saadi