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मेरी भी एक ज़मीं होगी ,मेरा भी आसमाँ होगा, इतने बड़

 मेरी भी एक ज़मीं होगी ,मेरा भी आसमाँ होगा,
इतने बड़े जहान में , मेरा  भी  एक  जहां होगा,

मेरे भी पँखो में ,फिर एक दिन लौट आएगी जान,
उस दिन भरूँगी मैं भी , उस आसमाँ  की उड़ान,

बीत  गए   कितने   बरस ,  बीत  गई हैं सदियाँ,
मेरी  मुट्ठी  के  दो  लम्हे ही ,दे  देंगें मुझे खुशियां,

राख के ढेर में दबी ,अभी थोड़ी सी आँच बाक़ी है,
अभी ज़िन्दा हूँ मैं मुझमें ,थोड़ी सी  साँस बाक़ी है,

ज़मीं तो क्या ,मैं आसमाँ बदलने का हुनर रखती हूँ,
भरोसा हौसलों पर और सफलता का स्वाद चखती हूँ,

वो  आसमाँ   भी  देख   ले ,मेरी ज़िद और जुनून को,
बदल के रख दूँगी एक दिन ,समाज के कानून को ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #जुनून