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इंसान को इंसान नहीं बांट दिया, धर्म को धर्म के ठ

इंसान को
 इंसान नहीं बांट दिया,
धर्म को 
धर्म के ठेकेदारों ने बांट दिया।

शिक्षा को 
कमाई का जरिया बना दिया,
शिक्षक को 
भी मजदूर बना दिया।

नारी को 
बहुत भोग -विलास की वस्तु बना दिया,
लूटी इज्जत तो 
सारी दुनिया में हवा की तरह फैला दिया।

धन वालों ने
 झूठ को भी सच बना दिया,
मीडिया में उछलकर 
उनको फेमस बना दिया।

झूठ को 
पैरों चला दिया,
सच को
 कुचलकर दबा दिया।

गुनहगारों का
गुनाह है गलत ठहरा दिया,
इमानदारो का 
इनाम रह लगा दिया।

गरीबों की 
गरीबी का फायदा उठा लिया,
जब चाहा धमकी देकर घर बिठा दिया।

कुर्सी ने सारा खेल बिगाड़ दिया,
ताकत वालों ने कबाड़ को भी चलने लायक जुगाड़ बना दिया।।

©Shishpal Chauhan
  # इंसान और मीडिया

# इंसान और मीडिया #कविता

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