तने की छाल रुखी हो गई है जड़ो का फैलना अब थम गया है टहनियों में लचक बाकी नहीं अब धरा तन पत्तियों से पट गया है ज़रा भी जोर से चलती हवा जब तने का शौर्य परखा जा रहा है परिंदो पर अभी वरदहस्त उसका विश्रंभ धारा पर था वो सरका जा रहा है आच्छादित फुनगीयाँ जो हरित थी वेध दिनकर का रोके थी भुजाये जहाँ विश्राम करते नर, जीव, पक्षी जहाँ विस्तार था चारों दिशाएँ स्वर्ण सा था चकमता शीश जिसका खुश्क पर्वत का चूड़ा हों गया है छांव थोड़ी वो अब भी दे रहा है मगर वो पेड़ बूढ़ा हो गया है #अरविंदठाकोर ©Arvind Thakore #poetey #kavita #life #thoughts #relationship #कविता #ज़िन्दगी #instagram #tree #treeoflife