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क़ातिल की थी रज़ा, चौराहें पर उसे लटकाया जाये, हो ग

क़ातिल की थी रज़ा, 
चौराहें पर उसे लटकाया जाये,
हो गई थी जो ख़ता,
अंजाम औरों को दिखलाया जाये...! क़ातिल की थी रज़ा, 
चौराहें पर उसे लटकाया जाये,
हो गई थी जो ख़ता,
अंजाम औरों को दिखलाया जाये...!

Pradeep Kalra - 27/12/19
क़ातिल की थी रज़ा, 
चौराहें पर उसे लटकाया जाये,
हो गई थी जो ख़ता,
अंजाम औरों को दिखलाया जाये...! क़ातिल की थी रज़ा, 
चौराहें पर उसे लटकाया जाये,
हो गई थी जो ख़ता,
अंजाम औरों को दिखलाया जाये...!

Pradeep Kalra - 27/12/19

क़ातिल की थी रज़ा, चौराहें पर उसे लटकाया जाये, हो गई थी जो ख़ता, अंजाम औरों को दिखलाया जाये...! Pradeep Kalra - 27/12/19 #शायरी