जख्मों को यूं सजा लेंगे रोशनी का शहर बना लेंगे कोई होता है जुदा तो हो जाए हम अपना दिल पत्थर का बना लेंगे मनोज हरगिज़ न भीख मांगेगा हम अपनी हसरत ही मिटा लेंगे