तू पता मुकर्रर कर यार मेरे मैं खुद को बेचने को राजी हूँ अब बेपरवाह है जज्बात मेरे मै खुद को बेचने को राजी हूँ सुना है वो बाजार सपनो का है कोई अपना ही खरीददार अपनों का है मै भी तो अपनों के गम का नवाजी हूँ बस ,मै खुद को बेचने को राजी हूँ जो तुमने साथ दिया उसका एहसानमंद हूँ कभी नूर था निगाहो का आज नजरबन्द हूँ क्या महसूस हुआ मुझे क्या बताऊ जो समझना ही ना चाहे उसे क्या समझाऊ एक मन पूछता है मेरा,क्या याद रखू उन्हें एक मन पूछता है,क्या भूल जाऊ इस कश्मकश में भी अब बस खुदसे ही साझी हूँ हाँ मैं खुद को बेचने को राज़ी हूँ!!!! ©कपिल #NojotoQuote ##मेरी कलम से##