जब कोई मुझसे पूछेगा दिखती कैसी तेरी दिलरुबा है
तब कैसे असंख्य शब्दों,चित्रों, कल्पनाओं का बखान हो पायेगा
कायनात के तमाम उदाहरण भी मुझे अल्प प्रतीत होते है
शुरू कहां से करे इसी उहापोह में ही आफताब मूक रह जायेगा !
मसला ये नहीं कि उनके रूपलावण्य के प्रतिमान अभी गढ़े नहीं गये
मसला ये भी नहीं कि सौंदर्य के ऐसे गिरि कभी चढ़े नहीं गये
आतुरता मेरी इसमें है कि वो तिल मेरे चुम्बन कब स्वीकार करेगा #yqbaba#कविता#yqdidi#yqhindi#कविताएँज़िंदारहतीहैं#surajaaftabi