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Unsplash रचना दिनांक ््171 ,,दिसम्बर ,2024 वार ब

Unsplash रचना दिनांक ््171 ,,दिसम्बर ,2024
वार   बुधवार 
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ् 
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
्््कल्पना ही साकार लोक में भावना का श्रव्य माध्यम श्रंगार है,
जनमानस में एकात्मकता समरुपता का जूनून है देश धर्म संस्कृति महान है ््
्््््
्््छाया चित्र कृति रुप प्रतिकृति रंग लाई अंगड़ाई युवा पीढ़ी और आप और हम,
 दोनों जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है,,
देश में परिवर्तन की अंगड़ाई लेते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव जन आंदोलन बन चुका है।।्््

संसार जगत में एकमात्र ऐसा देश हमारा है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले 
 इस पैगाम में आमनागरिक अनेकानेक धर्मों का निचोड़ सार सार्थक ,,
भारत प्रजातांत्रिक देश में संविधान में सिर्फ त्वमेव त्वमेव एकमेव सिर्फ सिर्फ मतदाता हैं ।।
यहां इन्सान को इन्सान बनाया गया है नाकि कोई शैतान जो मानवता प्रकृति के खिलाफ मामला है ,,
वह सिर्फ सिर्फ एकमात्र पशुत्वता के जिन्स अनूवाशिकी संस्कार से ,
वह नागरिक आधार ही स्वयं ही अपना और अपने विचार देश का दूश्मन नासूर है।।
 जिसका विरोध करने का प्रताड़ना पहले इन्सान को ज़िन्दगी में पहले अपने परिवार से बहिष्कार कर नगर से तदपश्यात न्याय की प्रक्रिया संहिता से कठोरतम कार्यवाही की जाना चाहिए,,
उसे सिर्फ सिर्फ मतदाता सूची अपराध का अपराधी होता है।,
उसका कोई रिश्ता धर्म जाति भाषा से कोई लेना देना नहीं होता है।।
यह विशेष रूप से भारत संविधान में संशोधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है,,
जो देश की जनता में एक पूजा एक मंत्र एक शक्ति देश का संविधान है बाकी सब कुछ बकवास है।।
जब तक नीति नियत परिधि समय में लोकमत जनमत है जो इस देश की आन बान शान है
यही कारण है कि हम आज सबसे अलग तथा कथित रूप से राजनीतिक दलों और नेताओं के सत्ताधारी दल का आयना नजरिया देशहित होना चाहिए।।
यही सही समय पर जिंदगी का स्वरूप माना गया,
 जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।
््कवि शैलेंद्र सिंह ्
17,, दिसंबर,,2024,,रचना दिनांक ््171 ,,दिसम्बर ,2024
वार   बुधवार 
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ् 
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
्््कल्पना ही साकार लोक में भावना का श्रव्य माध्यम श्रंगार है,
जनमानस में एकात्मकता समरुपता का जूनून है देश धर्म संस्कृति महान है ््
्््््
्््छाया चित्र कृति रुप प्रतिकृति रंग लाई अंगड़ाई युवा पीढ़ी और आप और हम,
 दोनों जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है,,
देश में परिवर्तन की अंगड़ाई लेते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव जन आंदोलन बन चुका है।।्््

संसार जगत में एकमात्र ऐसा देश हमारा है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले 
 इस पैगाम में आमनागरिक अनेकानेक धर्मों का निचोड़ सार सार्थक ,,
भारत प्रजातांत्रिक देश में संविधान में सिर्फ त्वमेव त्वमेव एकमेव सिर्फ सिर्फ मतदाता हैं ।।
यहां इन्सान को इन्सान बनाया गया है नाकि कोई शैतान जो मानवता प्रकृति के खिलाफ मामला है ,,
वह सिर्फ सिर्फ एकमात्र पशुत्वता के जिन्स अनूवाशिकी संस्कार से ,
वह नागरिक आधार ही स्वयं ही अपना और अपने विचार देश का दूश्मन नासूर है।।
 जिसका विरोध करने का प्रताड़ना पहले इन्सान को ज़िन्दगी में पहले अपने परिवार से बहिष्कार कर नगर से तदपश्यात न्याय की प्रक्रिया संहिता से कठोरतम कार्यवाही की जाना चाहिए,,
उसे सिर्फ सिर्फ मतदाता सूची अपराध का अपराधी होता है।,
उसका कोई रिश्ता धर्म जाति भाषा से कोई लेना देना नहीं होता है।।
यह विशेष रूप से भारत संविधान में संशोधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है,,
जो देश की जनता में एक पूजा एक मंत्र एक शक्ति देश का संविधान है बाकी सब कुछ बकवास है।।
जब तक नीति नियत परिधि समय में लोकमत जनमत है जो इस देश की आन बान शान है
यही कारण है कि हम आज सबसे अलग तथा कथित रूप से राजनीतिक दलों और नेताओं के सत्ताधारी दल का आयना नजरिया देशहित होना चाहिए।।
यही सही समय पर जिंदगी का स्वरूप माना गया,
 जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।
््कवि शैलेंद्र सिंह ्
17,, दिसंबर,,2024,,












कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand #library
Unsplash रचना दिनांक ््171 ,,दिसम्बर ,2024
वार   बुधवार 
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ् 
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
्््कल्पना ही साकार लोक में भावना का श्रव्य माध्यम श्रंगार है,
जनमानस में एकात्मकता समरुपता का जूनून है देश धर्म संस्कृति महान है ््
्््््
्््छाया चित्र कृति रुप प्रतिकृति रंग लाई अंगड़ाई युवा पीढ़ी और आप और हम,
 दोनों जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है,,
देश में परिवर्तन की अंगड़ाई लेते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव जन आंदोलन बन चुका है।।्््

संसार जगत में एकमात्र ऐसा देश हमारा है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले 
 इस पैगाम में आमनागरिक अनेकानेक धर्मों का निचोड़ सार सार्थक ,,
भारत प्रजातांत्रिक देश में संविधान में सिर्फ त्वमेव त्वमेव एकमेव सिर्फ सिर्फ मतदाता हैं ।।
यहां इन्सान को इन्सान बनाया गया है नाकि कोई शैतान जो मानवता प्रकृति के खिलाफ मामला है ,,
वह सिर्फ सिर्फ एकमात्र पशुत्वता के जिन्स अनूवाशिकी संस्कार से ,
वह नागरिक आधार ही स्वयं ही अपना और अपने विचार देश का दूश्मन नासूर है।।
 जिसका विरोध करने का प्रताड़ना पहले इन्सान को ज़िन्दगी में पहले अपने परिवार से बहिष्कार कर नगर से तदपश्यात न्याय की प्रक्रिया संहिता से कठोरतम कार्यवाही की जाना चाहिए,,
उसे सिर्फ सिर्फ मतदाता सूची अपराध का अपराधी होता है।,
उसका कोई रिश्ता धर्म जाति भाषा से कोई लेना देना नहीं होता है।।
यह विशेष रूप से भारत संविधान में संशोधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है,,
जो देश की जनता में एक पूजा एक मंत्र एक शक्ति देश का संविधान है बाकी सब कुछ बकवास है।।
जब तक नीति नियत परिधि समय में लोकमत जनमत है जो इस देश की आन बान शान है
यही कारण है कि हम आज सबसे अलग तथा कथित रूप से राजनीतिक दलों और नेताओं के सत्ताधारी दल का आयना नजरिया देशहित होना चाहिए।।
यही सही समय पर जिंदगी का स्वरूप माना गया,
 जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।
््कवि शैलेंद्र सिंह ्
17,, दिसंबर,,2024,,रचना दिनांक ््171 ,,दिसम्बर ,2024
वार   बुधवार 
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ् 
््निज विचार ््
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्््कल्पना ही साकार लोक में भावना का श्रव्य माध्यम श्रंगार है,
जनमानस में एकात्मकता समरुपता का जूनून है देश धर्म संस्कृति महान है ््
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्््छाया चित्र कृति रुप प्रतिकृति रंग लाई अंगड़ाई युवा पीढ़ी और आप और हम,
 दोनों जोश खरोश उन्दा सोच पर निर्भर करती है,,
देश में परिवर्तन की अंगड़ाई लेते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव जन आंदोलन बन चुका है।।्््

संसार जगत में एकमात्र ऐसा देश हमारा है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले 
 इस पैगाम में आमनागरिक अनेकानेक धर्मों का निचोड़ सार सार्थक ,,
भारत प्रजातांत्रिक देश में संविधान में सिर्फ त्वमेव त्वमेव एकमेव सिर्फ सिर्फ मतदाता हैं ।।
यहां इन्सान को इन्सान बनाया गया है नाकि कोई शैतान जो मानवता प्रकृति के खिलाफ मामला है ,,
वह सिर्फ सिर्फ एकमात्र पशुत्वता के जिन्स अनूवाशिकी संस्कार से ,
वह नागरिक आधार ही स्वयं ही अपना और अपने विचार देश का दूश्मन नासूर है।।
 जिसका विरोध करने का प्रताड़ना पहले इन्सान को ज़िन्दगी में पहले अपने परिवार से बहिष्कार कर नगर से तदपश्यात न्याय की प्रक्रिया संहिता से कठोरतम कार्यवाही की जाना चाहिए,,
उसे सिर्फ सिर्फ मतदाता सूची अपराध का अपराधी होता है।,
उसका कोई रिश्ता धर्म जाति भाषा से कोई लेना देना नहीं होता है।।
यह विशेष रूप से भारत संविधान में संशोधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है,,
जो देश की जनता में एक पूजा एक मंत्र एक शक्ति देश का संविधान है बाकी सब कुछ बकवास है।।
जब तक नीति नियत परिधि समय में लोकमत जनमत है जो इस देश की आन बान शान है
यही कारण है कि हम आज सबसे अलग तथा कथित रूप से राजनीतिक दलों और नेताओं के सत्ताधारी दल का आयना नजरिया देशहित होना चाहिए।।
यही सही समय पर जिंदगी का स्वरूप माना गया,
 जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।
््कवि शैलेंद्र सिंह ्
17,, दिसंबर,,2024,,












कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand #library