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रूप मानव भिन्न रूप ना धरो अपना अंतरमन गढो रूप धा

रूप


मानव भिन्न रूप ना धरो
अपना अंतरमन गढो
रूप धारण कर आप उलझोगे
आप हि गढे माया में फसोगे
स्वम हि अंतरआत्मा पर आघात क्यूँ
मानव पारिश्रमिक बनो
अपना स्वरूप स्वम ढालो,

तुम तिनके भी जोड़ोगे
स्वम की पाई-पाई सिरजोगे
औरों के बल पर क्यूँ कच्ची ईंट धरो
मानव अपना सहज संसार बनाओ
मन की संतुष्टि को आत्मा क्यूँ मारो
छल कुटुंब किनारे धर
मानव अपना सरल रूप गढ़ो,

©Kavitri mantasha sultanpuri #रूप
#KavitriMantashaSultanpuri
रूप


मानव भिन्न रूप ना धरो
अपना अंतरमन गढो
रूप धारण कर आप उलझोगे
आप हि गढे माया में फसोगे
स्वम हि अंतरआत्मा पर आघात क्यूँ
मानव पारिश्रमिक बनो
अपना स्वरूप स्वम ढालो,

तुम तिनके भी जोड़ोगे
स्वम की पाई-पाई सिरजोगे
औरों के बल पर क्यूँ कच्ची ईंट धरो
मानव अपना सहज संसार बनाओ
मन की संतुष्टि को आत्मा क्यूँ मारो
छल कुटुंब किनारे धर
मानव अपना सरल रूप गढ़ो,

©Kavitri mantasha sultanpuri #रूप
#KavitriMantashaSultanpuri