हार अकेला चना, जोश में चला, फोड़ने भाड़! सफलता मिली, कयोंकि उसमें थीं, दरारें चार! जिसे भूल गया था, भरना कुम्हार! ऒर हो गई, करारी हार! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #हार