कुछ शिकायते, कुछ तारीफे, कुछ बाते करनी थी तुमसे। जो कहते थे समझ ना सके हम तुमको क्या तुमने समझने की कोशिश की हमे। शिकवे तुम्हे बहुत थे तो हमारा दामन भी भरा था गिलो से। तुम सुन न सके हम कह न सके। बात वही थम सी गई। कहते थे मानते हो हमको बहुत कहते थे जानते हो बहुत हमको। फिर ये दूरियां क्यों आ गई राहों में। फिर ये खामोशियां क्यों आ गई। सोचते हम है, सोचते तुम भी होगे। #शिकवे