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काश मेरे पास अगर होती दिव्य आँखे तो देख पाता मै

काश मेरे पास अगर होती 
दिव्य  आँखे  तो देख पाता मै 

उस गरीबी क़ो जो  पिघलती रहती है 
जगत के चप्पे चप्पे पर 

और शायद मे तब कामयाब होता 
देखने मे 
उस भूखी नंगी आभावग्रस्त 
मानवता क़ो  

 जो हर कदम 
पर  कुतरती रहती है अपनी पीड़ा क़ो

©Parasram Arora
  दिव्य आँखे

दिव्य आँखे #कविता

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