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रौशनी ने झांक कर देखा जहाँ तक पहुंच थी अन्धेरा नही

रौशनी ने झांक कर देखा
जहाँ तक पहुंच थी अन्धेरा नहीं था।

ज़बरदस्ती कब्जा नाजायज़ कब्जा होता है
आखिर वो घर कर गया और देख घर किसी का नहीं था। एक जागता है तो दूसरा सोता है,
बिस्तर एक है बारी बारी सोता है।
रौशनी ने झांक कर देखा
जहाँ तक पहुंच थी अन्धेरा नहीं था।

ज़बरदस्ती कब्जा नाजायज़ कब्जा होता है
आखिर वो घर कर गया और देख घर किसी का नहीं था। एक जागता है तो दूसरा सोता है,
बिस्तर एक है बारी बारी सोता है।