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न जाने कैसी प्यास है मेरी. बुझती भी नही मिटती भी

न जाने कैसी प्यास है मेरी. बुझती भी नही
  मिटती भी नही. उसे देखता हूं तो छूने की ख्वाहिश होती है, और छूलू उसे तो कोई ख्वाहिश ही नहीं होती. वो पास भी है और दूर भी वों मुझ में ही मिल गया है कहीं. और वों मुझे मिलता भी नहीं

©Imran Badshah Ali #Love 

#Thoughts
न जाने कैसी प्यास है मेरी. बुझती भी नही
  मिटती भी नही. उसे देखता हूं तो छूने की ख्वाहिश होती है, और छूलू उसे तो कोई ख्वाहिश ही नहीं होती. वो पास भी है और दूर भी वों मुझ में ही मिल गया है कहीं. और वों मुझे मिलता भी नहीं

©Imran Badshah Ali #Love 

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