देखती थी राह जो कि लौट कर घर आएंगे
उसकी पूरी ज़िंदगी इंतज़ार में ही गुज़र गई
एक दुनिया को बना के एक बुढ़िया खुश रही
फ़िर रफ़्ता रफ़्ता सारी खुशियां भी बिखर गई
हम गांव को छोड़ कर शहर आ गए और
फ़िर यूं हुआ कि गांव में अम्मा तड़प के मर गई .... #2023Recap