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एक अंकुर फुट कर बोला, कि मैं हारा नहीं हूं। मैं हू

एक अंकुर फुट कर बोला, कि मैं हारा नहीं हूं।
मैं हूं उल्का पिंड कोई, साधारण तारा नहीं हूं।।
सच को सच लिखने का मैं, आदी रहूंगा उम्र भर,
दिनकरों का "वंश" हूं, मैं वृक्ष बेचारा नहीं हूं।।

कविवंश…✍️

©Vansh Thakur 
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