जन्नत की उम्मीद लिए, जो अपनी ज़िन्दगी बिताते हैं, जग ही जन्नत, इस हकीकत को समझ नहीं पाते हैं, माता,पिता,गुरु, ही नहीं, जहाँ पत्थर भी पूजे जाते हैं, मनमोहक प्राकृतिक छटा, धरा को ही जन्नत बनाते हैं। #जग_हीं_जन्नत_काव्य_संगीत 👉समय सीमा आज 7:30 Pm से कल 02:30 Pm तक है,प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद comment में time+Done लिखने के वजाय अपनी रचना लिख दीजिए, विजेता घोषित कल रात 10 बजे कर दिया जाएगा। 🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 16 में आपका स्वागत करता है। आप 04 पंक्ति में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें।📃 #काव्य_संगीत #yqdidi #yqbaba 👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें।