महाराणा अपनी तलवार को, खींच लो म्यान से, उठो फिर से तुम, ओ झांसी की रानी, अरि विनाश करो अभिमान से । अश्रुपूरित जन्मभूमि अब, संहार शत्रुओं का माँग रही । शांतिप्रिय हवा भी देखो, अंगार बन अब दहाड़ रही । महाराणा अपनी तलवार को, खींच लो म्यान से, उठो फिर से तुम, ओ झांसी की रानी,