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Challenge ललकार रहा, हे मनुज! ये जहां तुझको, आप की

Challenge ललकार रहा, हे मनुज! ये जहां तुझको,
आप की बैरियों से मुक्त कर तू ख़ुदको.
आलस के तम को तू तज,
निज सपनों के वास्ते श्रम तू कर.
ख़ुद को ले तू आज पेहचान,
किसी लकीरों का ना बन, तू मेहमान.
सोए अपने अभिमान को तू ललकार,
यतार्थ को अपने,तू दे पुकार.

©avinashjha #lalkar #self
Challenge ललकार रहा, हे मनुज! ये जहां तुझको,
आप की बैरियों से मुक्त कर तू ख़ुदको.
आलस के तम को तू तज,
निज सपनों के वास्ते श्रम तू कर.
ख़ुद को ले तू आज पेहचान,
किसी लकीरों का ना बन, तू मेहमान.
सोए अपने अभिमान को तू ललकार,
यतार्थ को अपने,तू दे पुकार.

©avinashjha #lalkar #self
avinashjha8117

Avinash Jha

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