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मुख से वो कुछ कह ना पाए हमसे सारा राज छिपाया । फि

मुख से वो कुछ कह ना पाए 
हमसे सारा राज छिपाया ।
फिर अनुभव से हमने जाना ,
आखिर उनके मन में क्या है?
बात बढ़ी पहचान बढ़ी,फिर- 
बढ़ती गयी उनसे मुलाकातें।
पता नहीं कहाँ चैन खो गया , 
जगने लगीं मेरी सब रातें।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj
  #humantouch ये ----बङा अजीब है

#humantouch ये ----बङा अजीब है #कविता

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