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ज़िन्दगी है और दिले- नादान है क्या सफ़र

ज़िन्दगी   है   और   दिले- नादान   है
क्या  सफ़र  है  और  क्या  सामान  है

मेरे  ग़म   को  भी  समझकर    देखते
मुसकुरा    देना    बहुत   आसान    है

मैंने  हंस  हंसकर   गुज़ारा   है    तुझे
ज़िन्दगी   तुझ  पर  मेरा  एहसान  है

मौत  को  यूं  याद  करते हो ' वसीम '
जैसे   मर  जाना  बहुत  आसान   है

प्रो वसीम बरेलवी

©Vivek Dixit swatantra
  वसीम बरेलबी

वसीम बरेलबी #शायरी

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