ये लोग जो बहुत कुछ जानने आए है इन्हें अपना रिश्ता बता दु क्या? दिल मे बैठे सारे खयालो की भीड़ मैं ये भीड़ हटा दु क्या? सुना है सच बहुत सताता है मैं आज सबको सता दु क्या? ये इश्क़ के मारे पत्थर निगाह लोग मैं इन्हें भी रुला दु क्या? रानाई के असूल तय कर रही ये दुनिया तुम्हारी सीरत दिखा दु क्या? तुम्हारा नाम लबों पर आने से पहले मैं इक दफ़ा और झुठला दु क्या? ये लोग समझ रहे मेरा दिल टूटा है मैं इक दफा मुस्कुरा दु क्या? ©क्षत्रियंकेश रानाई!