ये आसमां अकेला,,,,, जा़त मेरी तरह, हाल हकी़कत बेगानगी की,,,, कुछ इसतरह, के मौजूद कु़र्ब जवार दिवार ए अब्र, मगर ना पाकर साया,पाया फ़क़त सब्र, के इक वहां, के इक यहां, दिखे जहां जहां,,,, जगमग सितारों का क़तार, मगर मुंह मोडे़ सब रिश्तेदार, ये चांद चमके दमके, जे़ब व जी़नत दिखाए, खू़ब हंसे मुस्कुराए, अपना ईद मनाए, हवाएं आती घडी़ दो घडी़, बस ऐसे कभी, अय आसमां देख रो मत तु तन्हां नहीं,,,, वो है न "इब्राहिमी" तेरी तरह, ये आसमां अकेला,,,,, जा़त मेरी तरह, ©AL ibrahimi poetry #akelaasaman#sad #Sky