जब गले मिलो देह का भान न रहे जब प्रेम करो वासना छू न पाये जब कण कण घट घट में परमात्मा है तो ये सब कहने वाले किसी से नफरत कैसे कर सकते हैं 🤔 जब सारी सृष्टि का रचयिता वही है और सबके अंदर वही बैठा है ..तो किसी से भी नफरत करने का मतलब आप परमात्मा से द्वेष कर रहे हो क्या कभी सोचा है और "जैसी मति वैसी गति"