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खुलें हीं रहते थें जब दिल के द्वार आँगन में ,तो ख

खुलें हीं रहते थें जब दिल के द्वार आँगन में ,तो 
ख़ुशियाँ आती थीं बाँधे कतार आँगन में...!!

मकान ख़ाली है कोई यहाँ नहीं रहता
बता रहे हैं मुझे बिखरे खार आँगन में..!!

हैं भाई-भाई भी दुश्मन ज़मीनों ज़र के लिए
न प्यार मिलता है ना एतबार आँगन में..!!

लगा यूँ बाप को दिल उसका टुकड़े-टुकड़े हुआ
जब उसके बेटों ने खींची दिवार आँगन में..!!

नगर जो फैले तो आँगन सिकुड़ गए ऐसे
कि छज्जें होने लगे हैं शुमार आँगन में...!!

चुगेंगीं आके इन्हें अमनों चैन की चिड़ियाँ
बिखेर दें प्यार के दानें तू यार आँगन में...!!

 मकानों में आँगन ही अब नहीं मिलते
बिखेरूँ कैसे भला अब मैं प्यार आँगन में ।। #भाई #घर_का_आँगन
खुलें हीं रहते थें जब दिल के द्वार आँगन में ,तो 
ख़ुशियाँ आती थीं बाँधे कतार आँगन में...!!

मकान ख़ाली है कोई यहाँ नहीं रहता
बता रहे हैं मुझे बिखरे खार आँगन में..!!

हैं भाई-भाई भी दुश्मन ज़मीनों ज़र के लिए
न प्यार मिलता है ना एतबार आँगन में..!!

लगा यूँ बाप को दिल उसका टुकड़े-टुकड़े हुआ
जब उसके बेटों ने खींची दिवार आँगन में..!!

नगर जो फैले तो आँगन सिकुड़ गए ऐसे
कि छज्जें होने लगे हैं शुमार आँगन में...!!

चुगेंगीं आके इन्हें अमनों चैन की चिड़ियाँ
बिखेर दें प्यार के दानें तू यार आँगन में...!!

 मकानों में आँगन ही अब नहीं मिलते
बिखेरूँ कैसे भला अब मैं प्यार आँगन में ।। #भाई #घर_का_आँगन
chandanshroff3295

Nasamajh

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