हर तरफ अफरा-तफरी का आलम है... आँखे तो वही है पर मंजर बदल गया है... क्या तेरा क्या मेरा भगवान तो सबका है... मुरत वही है लेकीन मंदर बदल गया है... जिन आंखो की गहराई मे डूब जाया करते थे... अब उन्ही आंखोका समंदर बदल गया है... बाहर से तो सब ठीक ही लगता है मगर... कुछ तो है जो दिल के अंदर बदल रहा है... # श्रावणी # # हिंदी कविता