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किस्सा रसकपूर - रागनी 18 हरयाणवी बहाण मेरा रूस गय

किस्सा रसकपूर - रागनी 18 हरयाणवी

बहाण मेरा रूस गया भरतार, जगतसिंह होग्या बेदर्दी
उन्ने के गरज मनावण की, उन्ने के गरज मनावण की हे।

मेरै ला ला झूठे दोष, जळे नै देइ आत्मा मोस
मेरे लिए सारे ओहदे खोस, ज़िन्दगी कैद में करदी
घड़ी इब बिफत उठावण की,घड़ी इब बिफत उठावण की हे।

वा फतेकँवर पटराणी, स्याहमी बोले मीठी बाणी
मन्ने कोन्या जात पिछाणी, दाग मेरे चरित्र पे धरगी
दशा इब आँसू बाहवण की, दशा इब आँसू बाहवण की हे।

प्यार मेरा शक ते हार गया, प्यार मन्ने जी ते मार गया
जगत सिंह कांटे डार गया, डगर में शूल फणी धरदी
समो गई फूल बिछावण की, समो गई फूल बिछावण की हे।

करूँ आनन्द शाहपुर विनती, होज्या म्हारी भी किते गिणती
रागणी  छन्द पे छन्द बणती, कथना लिख लख के धरदी
बाट सै गाण बजावण की, बाट सै गाण बजावण की हे।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिय

©Anand Kumar Ashodhiya किस्सा रसकपूर हरयाणवी रागनी 18

#रसकपूर #हरयाणवी_रागनी #हरयाणवी
किस्सा रसकपूर - रागनी 18 हरयाणवी

बहाण मेरा रूस गया भरतार, जगतसिंह होग्या बेदर्दी
उन्ने के गरज मनावण की, उन्ने के गरज मनावण की हे।

मेरै ला ला झूठे दोष, जळे नै देइ आत्मा मोस
मेरे लिए सारे ओहदे खोस, ज़िन्दगी कैद में करदी
घड़ी इब बिफत उठावण की,घड़ी इब बिफत उठावण की हे।

वा फतेकँवर पटराणी, स्याहमी बोले मीठी बाणी
मन्ने कोन्या जात पिछाणी, दाग मेरे चरित्र पे धरगी
दशा इब आँसू बाहवण की, दशा इब आँसू बाहवण की हे।

प्यार मेरा शक ते हार गया, प्यार मन्ने जी ते मार गया
जगत सिंह कांटे डार गया, डगर में शूल फणी धरदी
समो गई फूल बिछावण की, समो गई फूल बिछावण की हे।

करूँ आनन्द शाहपुर विनती, होज्या म्हारी भी किते गिणती
रागणी  छन्द पे छन्द बणती, कथना लिख लख के धरदी
बाट सै गाण बजावण की, बाट सै गाण बजावण की हे।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिय

©Anand Kumar Ashodhiya किस्सा रसकपूर हरयाणवी रागनी 18

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