ज़िदगी कहाँ रूकना है कहां ठहरना है ये बत्ती , तरह-२ से रंगो में इम्तेहान लेगी। नशे का ऐब अपने गैब* की खातिर जावेदानी, भर भर के गम लेगी ज़िन्दगी मैं बिखरना चाहता हूं, अब वो समेट कर दम लेगी। गैब-*अदृश्य लोक जावेदानी- eternity अनन्तकाल