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*बीच भँवर है नैया* आस लेके आया, दरबार



          *बीच भँवर है नैया*

आस लेके आया, दरबार में तुम्हारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

हमनें सुना बिगड़ी ,सभी की हो बनाते
उलझी जिन्दगियों की लड़ियों को सजाते
मेरा यह जीवन है, तेरे प्रभु सहारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

जमाने की भीड़ में, किसी का न सहारा
कट रहा है जीवन ,प्रभु कष्टों में हमारा
मिट जाएगी हर बाधा, कर दो गर इशारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

बड़ी कठिन डगर है, दिखता नहीं किनारा 
बड़ी मुश्किल से प्रभु जी, हो रहा गुजारा
अपना हाथ रख दो, शीश पर प्रभु हमारे 
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

भूख से बिलखते ,बालक पड़े हैं घर में 
भार ढोते हुए, छाले पड़े हैं सर में 
भूख से मर न जाएँ ,अबोध ये बिचारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

दर से तेरे कोई ,जाता नहीं खाली
आया तेरे दर पर, बनके मैं सवाली
 इन नयनों को दे दो, सुन्दर प्रभु नजारे
बीच भँवर है नैया, कर दो प्रभु किनारे

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  जय श्री राधेकृष्ण  Raushni Tripathi  Ritisha Jain  wordsoftannu  Shikha Sharma
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Ramji Tiwari

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