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ramjitiwari1532
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Ramji Tiwari

मेरी वजह से कभी किसी का दिल ना दुखे न किसी का अहित हो बस मेरे जीवन की यही प्राथमिकता है

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Ramji Tiwari

White 

      *रात सजने लगी*

शाम ढलने लगी 
रात सजने लगी 
       दूर कानन कही
       वेणु बजने लगी
तीव्र शीतल मधुर 
हवा बहने लगी
        पेड़ की ओट से 
        प्रभा तकने लगी
 कुसुम रात रानी 
 अब महकने लगी
        वर्षाप्रिय मंडली 
       शोर करने लगी
चाँद को देखकर 
शमा जलने लगी
       जमीं थी शिखर पे
       बर्फ गलने लगी
चाँदनी चाँद से 
गले मिलने लगी
      फिजा में अजब सी
       महक घुलने लगी
पैर में पैंजनी 
मधुर बजने लगी
        कंत खातिर प्रिये
         सज सँवरने लगी
देख सुन्दर छटा
नारि नचने लगी
      प्रेम की हर जगह
      बात चलने लगी
सखी प्रिय मिलन को
अति मचलने लगी
         देख मुख सजन का
         नारि हँसने लगी
लग सजन के गले
बाँह कसने लगी
        विकल थी जो अभी 
        साँस थमने लगी

        स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                              उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #poem
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Ramji Tiwari

White 

        *इन्सान बदल जाते हैं*

दिल के सारे अरमान बदल जाते हैं
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं 

समय नहीं रहता है सदा एक जैसा 
सबकुछ यहाँ पर हो गया केवल पैसा 
हैसियत देख कद्रदान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

बदलतीं इच्छाएँ समय के साथ हर दिन 
बदलते हैं खयालात हृदय के पल छिन
घर, मन्दिर के भगवान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

बदलती रहती सदा अमीरी-गरीबी
बदलते रहते सदा हितैषी, करीबी
समय-समय पर परिधान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

समय के साथ अखबार बदल जाता है 
चेहरा देख कर यार बदल जाता है 
कुछ तो खुद की पहचान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

सज्जन इन्सान भी बन जाता नीच है 
कभी वह भी फँस जाता कीचड़ बीच है 
लालच में पड़ ईमान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

समय कभी न रूकता रहता गतिमान है 
भूत में बदल जाता यह वर्तमान है
 खंडहर में सब मकान बदल जाते हैं 
समय के साथ इन्सान बदल जाते हैं

    स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                          उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #love_shayari 
#poem
#motivate 
#Zindagi 
#Time
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Ramji Tiwari

White 
विधा-मनहरण घनाक्षरी छंद 

    *मधुमास आ गया*

कूके कोयलिया बाग,गाती सुमधुर राग।
हुई धरा हरी- भरी, मधुमास आ गया।
खिले बहु सुमन हैं,भए रम्य चमन हैं। 
 लौट फिर से सुखद, अहसास आ गया।
सारे जग की स्वामिनी, वर मंगल दायिनी।
शारदा भवानी माँ का, पर्व खास आ गया।
लेके पूजा थाल हाथ,टेक तेरे दर माथ।
तुमको मनाने माता,"राम" दास आ गया।।

हर दिन करें पूजा,और नहीं काम दूजा।
मेरे प्यासे नयनों को ,दरश दिखाइए।
तप सिद्धियों की खान, अतुलित बलवान।
देके हमें वरदान,सबल बनाइए।
दे दो हमें वरदान,वाणी करें गुणगान।
निज भक्ति भाव प्रीति,हृदय जगाइए।
फैला तम चहुँ ओर,दिखे नहीं कोई छोर।
फैला पाप जग घोर,तमस मिटाइए।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #छंद
#मनहरण_घनाक्षरी_छंद 
#poem
#Spring
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Ramji Tiwari

Unsplash 
विधा-दोहा छंद 

नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान।
सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।।

जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान।
जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।।

गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ।
जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।।

रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय।
गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।।

करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार।
सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #दोहा
#कवि 
#poem 
#Friend 
#साहित्य
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Ramji Tiwari

White 

       *प्यारा मास बसंत* 

जग से अँधियारा मिटा,हुई सुहानी भोर।
बादल छाए हैं घने,नाच रहे वन मोर।
नाच रहे वन मोर,घटा घनघोर सुहानी।
रिमझिम-रिमझिम रहा,बरस अम्बर से पानी।
देख प्रकृति का रूप,सभी के थिरक रहे पग।
सन- सन चलती पवन,करे शीतल सारा जग।।

दिखती है पहने धरा, हरा-हरा परिधान।
कोयल कूके पेड़ पर,गाए सुमधुर गान।
गाए सुमधुर गान,सभी का मन बहलाती।
पीली सरसों खेत, लहर-लहर लहलहाती।
देख भानु का ताप, ठंड पास नहीं टिकती।
देखें आँखें जिधर, सिर्फ हरियाली दिखती।।

बसंत उत्सव से शुरू,हो जाता है फाग।
भँवरा चूँसे फूल रस,गुन- गुन गाता राग।
गुन-गुन गाता राग,फूल पर है मँडराता।
कल-कल सरिता नाद,सभी के मन को भाता।
झूम रहे नर नारि,हर्ष फैला दिगदिगंत।
ऋतुओं का ऋतुराज, है प्यारा मास बसंत।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Nature 
#springpoem
#Beauty 
#poem 
#Friend
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Ramji Tiwari

Unsplash   
विधा-सोहाशेष

आदरणीय श्री शेष मणि शर्मा जी द्वारा रचित नवीन
 विधा सोहाशेष जो कि दोहा+सोरठा के संयोग से
 बनती है। मेरे द्वारा रचित एक रचना आप सबके
 समक्ष सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत है -

कनक वर्ण सरसों खिली, रही खूब इठलाय।
बैठी तरुवर डाल पे,        कोयल गाना गाय।
गाय मनोहर गीत,    तान छेड़ती अति मधुर।
प्रीति प्रणय मन मीत,  उमड़े अंतस में प्रचुर।
लगे प्रभात तुषार,   मन अनंग बढ़ती हनक।
मधुप करे गुंजार , धरती दिखती मनु कनक।।

कमल कीच में खिल गया,भँवरा गाए गान।
कोयल ने भी छेड़ दी,    अपनी मीठी तान।
तान सुरीली छेड़,  गीत सुनाती अति मधुर।
पड़ी भानु की एड़,    फूटे बीजों में अँकुर।
बदले मौसम रूप,समीर बहती अति चपल।
भोर सुबास अनूप,    खिले सरोवर में कमल।। 

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #poem
#Spring 
#beatyfullnature
#सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
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Ramji Tiwari

*अखबार नहीं है*

ये मत कहो की तुमको हमसे प्यार नही है 
है कौन यहाँ जो अपना तलबगार नहीं है

अपना जादू सब के सर चढ़के बोलता है 
नहीं शख्स जिसके जहन चढ़ा खुमार नहीं है

भोले के पुजारी आसानी से न मरेंगे 
आपका दिया जहर मियाँ असरदार नहीं है

हम परशु के वंशज डरते नहीं शत्रुओं से  
 हुई कुंद अभी तक फरसे की धार नहीं है 

परशुराम जी ने जन्म लिया अपने वंश में 
कायरों का समूह अपना परिवार नहीं है

अपने ही लिबास में हम जीते हैं शान से 
किसी धन्नासेठ का हमपर उपकार नहीं है

अपनी कठोर मेहनत पे भरोसा है हमें 
निज हाथ की लकीरों पे ऐतबार नहीं है

बस अपने काम में मगन रहते हैं हमेंशा 
दुनियादारी से अपना सरोकार नहीं है 

हर एक पत्रिका में लेख छपते हैं हमारे 
हमारी खबर न हों जिसमें अखबार नहीं है

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #GoldenHour 
#poem 
#सजल
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Ramji Tiwari

White 

        *हमें इजहार करने दो*

हटा लो जुल्फों को चेहरे से हमें दीदार करने दो
बात दिल की दिल में न रह जाए हमें इजहार करने दो

फिज़ा रंगीन,अदा रंगीन रूप तेरा कातिलाना है 
आगोश में मेरी आ जाओ जी भरकर प्यार करने दो

नहीं मालूम सनम तुमको की हम कितना प्यार करते हैं 
जमाने के सामने अपने प्रेम का इजहार करने दो

आपकी राह में कभी से हम पलकें बिछाए बैठे हैं 
मिटा दो दूरियाँ दरमियाँ खत्म अब इन्तजार करने दो

आपकी यादों में डूबा मेरा दिल रहता हमेशा है
 प्यार में तुम को भी अपने जरा सा बेकरार करने दो

हमारे प्यार में आपका भी दिल जोरों से धड़कता है 
मिटाकर उलझनें सारी दिल को बस ऐतबार करने दो

तुम्हें भी हो जाएगी हमसे एक न एक दिन मोहब्बत 
अपने दिल को बस मोहब्बत हमसे एक बार करने दो

एक पल भी सुकूँ से न रह पाएंगे होकर जुदा तुमसे
हमें प्यार में ये ज़िन्दगी इस तरह न बेजार करने दो

प्रेम स्वीकार कर मेरा सदा के लिए मेरी हो जाओ
तिवारियों में अपना भी एक नाम अब शुमार करने दो

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #love_shayari 
#सजल 
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Ramji Tiwari

White  

 मनहरण घनाक्षरी छंद-

घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है।
बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।।
आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई।
छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।।
देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली।
कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।।
झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी।
धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।।

घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद।
खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।।
चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे।
जगमग होती अब,रात काली-काली है।।
यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे।
इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।।
मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल।
बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
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#Festival 
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Ramji Tiwari

White 
दोहा छंद 

बोली, भाषा का बहुत,रखना यारों ध्यान।
सबका अपना मान है,करो नहीं अपमान।।

मीठी वाणी से जहाँ, बनते जग में मित्र।
कड़वी वाणी से वहीं, मन होता अपवित्र।।

सज्जन मानव का सदा,जग में होता मान।
दुर्जन मानव का वहीं,होता है अपमान।।

मरने से पहले तनिक,कर लो बढ़िया काम।
निकृष्ट मानव का नहीं,जग में होता नाम।।

बूढ़ों की सेवा करो, पाओगे आशीष।
मात पिता के छू चरण, रोज नवाओ शीश।।

धरती के हर जीव से,करो सदा तुम प्यार।
प्रेम हृदय जिसके नहीं,जीवन है बेकार।।

भाई- भाई में अगर,कभी न होगी रार।
ढह जाएगी आप ही,नफरत की दीवार।।

मिलजुल कर रहते जहाँ,होता वह परिवार।
नफरत पलती हो जहाँ,जीना हो दुश्वार।।

मानव से बढ़ के जिसे,धन का होता लोभ।
धन तो पा लेता मगर,सहे विरह का क्षोभ।।

देश, धर्म पर जान दे,कर दे सब कुर्बान।
दुनिया ऐसे वीर का,करती है गुणगान।।

भक्ति भाव से जो भजे, नारायण का नाम।
संकट कट जाते सभी, बनते बिगड़े काम।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #GoodMorning 
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