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ramjitiwari1532
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Ramji Tiwari

मेरी वजह से कभी किसी का दिल ना दुखे न किसी का अहित हो बस मेरे जीवन की यही प्राथमिकता है

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Ramji Tiwari

Unsplash   
विधा-सोहाशेष

आदरणीय श्री शेष मणि शर्मा जी द्वारा रचित नवीन
 विधा सोहाशेष जो कि दोहा+सोरठा के संयोग से
 बनती है। मेरे द्वारा रचित एक रचना आप सबके
 समक्ष सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत है -

कनक वर्ण सरसों खिली, रही खूब इठलाय।
बैठी तरुवर डाल पे,        कोयल गाना गाय।
गाय मनोहर गीत,    तान छेड़ती अति मधुर।
प्रीति प्रणय मन मीत,  उमड़े अंतस में प्रचुर।
लगे प्रभात तुषार,   मन अनंग बढ़ती हनक।
मधुप करे गुंजार , धरती दिखती मनु कनक।।

कमल कीच में खिल गया,भँवरा गाए गान।
कोयल ने भी छेड़ दी,    अपनी मीठी तान।
तान सुरीली छेड़,  गीत सुनाती अति मधुर।
पड़ी भानु की एड़,    फूटे बीजों में अँकुर।
बदले मौसम रूप,समीर बहती अति चपल।
भोर सुबास अनूप,    खिले सरोवर में कमल।। 

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #poem
#Spring 
#beatyfullnature
#सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
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Ramji Tiwari

*अखबार नहीं है*

ये मत कहो की तुमको हमसे प्यार नही है 
है कौन यहाँ जो अपना तलबगार नहीं है

अपना जादू सब के सर चढ़के बोलता है 
नहीं शख्स जिसके जहन चढ़ा खुमार नहीं है

भोले के पुजारी आसानी से न मरेंगे 
आपका दिया जहर मियाँ असरदार नहीं है

हम परशु के वंशज डरते नहीं शत्रुओं से  
 हुई कुंद अभी तक फरसे की धार नहीं है 

परशुराम जी ने जन्म लिया अपने वंश में 
कायरों का समूह अपना परिवार नहीं है

अपने ही लिबास में हम जीते हैं शान से 
किसी धन्नासेठ का हमपर उपकार नहीं है

अपनी कठोर मेहनत पे भरोसा है हमें 
निज हाथ की लकीरों पे ऐतबार नहीं है

बस अपने काम में मगन रहते हैं हमेंशा 
दुनियादारी से अपना सरोकार नहीं है 

हर एक पत्रिका में लेख छपते हैं हमारे 
हमारी खबर न हों जिसमें अखबार नहीं है

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #GoldenHour 
#poem 
#सजल
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Ramji Tiwari

White 

        *हमें इजहार करने दो*

हटा लो जुल्फों को चेहरे से हमें दीदार करने दो
बात दिल की दिल में न रह जाए हमें इजहार करने दो

फिज़ा रंगीन,अदा रंगीन रूप तेरा कातिलाना है 
आगोश में मेरी आ जाओ जी भरकर प्यार करने दो

नहीं मालूम सनम तुमको की हम कितना प्यार करते हैं 
जमाने के सामने अपने प्रेम का इजहार करने दो

आपकी राह में कभी से हम पलकें बिछाए बैठे हैं 
मिटा दो दूरियाँ दरमियाँ खत्म अब इन्तजार करने दो

आपकी यादों में डूबा मेरा दिल रहता हमेशा है
 प्यार में तुम को भी अपने जरा सा बेकरार करने दो

हमारे प्यार में आपका भी दिल जोरों से धड़कता है 
मिटाकर उलझनें सारी दिल को बस ऐतबार करने दो

तुम्हें भी हो जाएगी हमसे एक न एक दिन मोहब्बत 
अपने दिल को बस मोहब्बत हमसे एक बार करने दो

एक पल भी सुकूँ से न रह पाएंगे होकर जुदा तुमसे
हमें प्यार में ये ज़िन्दगी इस तरह न बेजार करने दो

प्रेम स्वीकार कर मेरा सदा के लिए मेरी हो जाओ
तिवारियों में अपना भी एक नाम अब शुमार करने दो

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #love_shayari 
#सजल 
#lovequotes 
#Friend
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Ramji Tiwari

White  

 मनहरण घनाक्षरी छंद-

घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है।
बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।।
आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई।
छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।।
देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली।
कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।।
झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी।
धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।।

घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद।
खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।।
चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे।
जगमग होती अब,रात काली-काली है।।
यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे।
इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।।
मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल।
बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
#poem
#छंद 
#Festival 
#Nature 
#Friend
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Ramji Tiwari

White 
दोहा छंद 

बोली, भाषा का बहुत,रखना यारों ध्यान।
सबका अपना मान है,करो नहीं अपमान।।

मीठी वाणी से जहाँ, बनते जग में मित्र।
कड़वी वाणी से वहीं, मन होता अपवित्र।।

सज्जन मानव का सदा,जग में होता मान।
दुर्जन मानव का वहीं,होता है अपमान।।

मरने से पहले तनिक,कर लो बढ़िया काम।
निकृष्ट मानव का नहीं,जग में होता नाम।।

बूढ़ों की सेवा करो, पाओगे आशीष।
मात पिता के छू चरण, रोज नवाओ शीश।।

धरती के हर जीव से,करो सदा तुम प्यार।
प्रेम हृदय जिसके नहीं,जीवन है बेकार।।

भाई- भाई में अगर,कभी न होगी रार।
ढह जाएगी आप ही,नफरत की दीवार।।

मिलजुल कर रहते जहाँ,होता वह परिवार।
नफरत पलती हो जहाँ,जीना हो दुश्वार।।

मानव से बढ़ के जिसे,धन का होता लोभ।
धन तो पा लेता मगर,सहे विरह का क्षोभ।।

देश, धर्म पर जान दे,कर दे सब कुर्बान।
दुनिया ऐसे वीर का,करती है गुणगान।।

भक्ति भाव से जो भजे, नारायण का नाम।
संकट कट जाते सभी, बनते बिगड़े काम।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #GoodMorning 
#Advice&Motivation 
#poem
#quaotes  मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

#GoodMorning #advice&Motivation #poem #quaotes मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

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Ramji Tiwari

White 

आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

               *भक्ति अंतस में जगा दो*

दूर कर अज्ञानता को, ज्ञान की ज्योति जला दो
ले शरण माँ शारदा, भक्ति अंतस में जगा दो

ज्ञान की देवी तुम्हीं,सुर साधकों की मीत हो
गूँजते हर कंठ का,माँ तुम्हीं तो संगीत हो
हाथ रख मेरे सर, माँ मेरा जीवन सजा दो
ले शरण माँ शारदा ,भक्ति अंतस में जगा दो

करुणा कर करुणामयी,हम सब बालक तुम्हारे 
छाया उर तमस घना, दिखते न हमको किनारे 
दे वर वरदायिनी, हम सब को काबिल बना दो
ले शरण माँ शारदा ,भक्ति अंतस में जगा दो

आपकी साधना माँ, करता सकल संसार है 
आपकी दया से सारी, सृष्टि में उजियार है 
भक्ति का वरदान दे ,प्रीत चरणों से लगा दो
ले शरण माँ शारदा, भक्ति अंतस में जगा दो

कर में सोहे वीणा,कमल आसन पे विराजे
शीश सोहे मुकुटमणि, श्वेतवस्त्र तन पे साजे
सुरों की सम्राज्ञी ,हमें भी माँ कुछ सुर सिखा दो 
ले शरण में शारदा, भक्ति अंतस में जगा दो

देव,मुनि,मानव, तेरी महिमा गाते सभी हैं 
ज्ञान प्राप्ति हेतु दर पे, सर झुकाते सभी हैं 
छेड़ वीणा के मधुर स्वर ,तान कोई सुना दो
ले शरण में शारदा, भक्ति अंतस में जगा दो

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #बसंतपंचमी 
#holyfestival 
#poem
#Devotional  भक्ति गीत
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Ramji Tiwari

White प्यारा मास बसंत 

वृक्षों पर नव कोंपलें होता पतझड़ का अंत
ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

हरी चादर ओढ़े धरा की शोभा न्यारी
बहुरंगी प्रसूनों से सज गई हर क्यारी
माँ सरस्वती की वन्दना करते साधु संत
ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

वृक्षों की शाखाओं पर कोयल गान कर रही
प्रकृति भी माँ सरस्वती का गुणगान कर रही
प्रात होते भानु रश्मि आतीं भू पे तुरंत
ऋतुओं का‌ ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

सन- सन करती मनोहर मलय समीर बह रही
चूँ- चूँ करती चिड़िया मनोहर राग कह रही
इन्द्रधनुष रंग से रंगा आसमान अनंत 
ऋतुओं का‌ ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

रिमझिम- रिमझिम बरसात की बूँदें गिरती हैं
सभी जीवों की आत्मा को तृप्त करती हैं
मनभावन, सुन्दर मौसम भाता अति हेमंत 
ऋतुओं का‌ ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

दूर तक दिखती हरियाली ही हरियाली है
मधुर तान में गा रही कोयल मतवाली है
सूखी तरूवर की डाली हो जाती जीवंत
ऋतुओं का‌ ऋतुराज है प्यारा मास बसंत

       स्वरचित रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                       उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Nature 
#poem 
#NatureBeauty 
#Spring
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Ramji Tiwari

White 

     *मनभावन न्यारा मधुमास होता है*

नई उमंगों, नई तरंगों का एहसास होता है
सबसे सुन्दर, मनभावन न्यारा मधुमास होता है

दूर तलक धरती पर हरी मखमली चादर होती है 
खेतों में प्रिय मूली,आलू, शलजम, गाजर होती है
प्रकृति की देख सुन्दर छटा मन में उल्लास होता है
सबसे सुन्दर, मनभावन न्यारा मधुमास होता है

घास,ओस की बूँदों पर जब सूर्य किरणें पड़तीं हैं
मोती की मानिंद जल बूँद चम-चम चमकनें लगतीं हैं
चाँदनीं रात में तारों का सुन्दर प्रकाश होता है
सबसे सुन्दर, मनभावन न्यारा मधुमास होता है

पीले -पीले सरसों के फूल लगते बहुत मनभावन
बसंत पंचमी मात सरस्वती का उत्सव अति पावन
सम्पूर्ण प्रकृति में व्याप्त सुखद उल्लास होता है
सबसे सुन्दर मनभावन न्यारा मधुमास होता है

पीले रंग की साड़ी पहनकर सज जाती नारी है 
बसंत पंचमी मेले की शोभा लगती न्यारी है 
माँ के मण्डप का निर्माण मन्दिर के पास होता है 
सबसे सुन्दर मनभावन न्यारा मधुमास होता है

बसंत पंचमी मात सरस्वती का पूजन होता है
हर एक घर में नाच-गाना भजन-कीर्तन होता है
इस दिन ज्ञान की देवी का हर घर में वास होता है
सबसे सुन्दर मनभावन न्यारा मधुमास होता है

जो नर बसंत पंचमी के दिन सरस्वती को ध्याता
माँ वीणावादिनी से सुर ,ज्ञान, सद्बुद्धि वर को पाता
विद्यार्थी,सुर साधक के‌ लिए यह दिन खास होता है 
सबसे सुन्दर मनभावन न्यारा मधुमास होता है

        स्वरचित रचना-राम जी तिवारी "राम"
                                         उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
#poem
#Nature 
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Ramji Tiwari

White 
विधा-दोहा छंद 

तरकश तीरों से भरा,रखे दिव्य हैं बाण।
कविता रूपी तीर ये,भरते मृत में प्राण।।

स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                     उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #दोहे 
#कविता 
#writer
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Ramji Tiwari

White 
विधा-मुक्तक

धन- दौलत पास मेरे नहीं है।
तन चलती साँस मेरे नहीं है। 
तन सूख हुआ हड्डियों का ढाँचा, 
मन में अब त्रास मेरे नहीं है।।

       स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                             उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Sad_Status 
#sayari 
#heartsbroken  'दर्द भरी शायरी'

#Sad_Status #sayari #heartsbroken 'दर्द भरी शायरी'

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