तहज़ीब हाफी- तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया । फिर मैने ये शेर कहा इस गंगा जमुनी संगम पर बड़े बड़ों ने पानी भरना सीखा है, तहज़ीब की रोने वालों तुमने भी सरस्वती का नज़ारा छोड़ दिया।