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डरता हु उन (कविता) डरता हु उन कल्पनाओं से जिनके

 
डरता हु उन (कविता)

डरता हु उन कल्पनाओं से जिनके के सत्य होने पर ,
         कल्पनाएं कल्पनाएं न रहेगी,
डरता उन अपनो के बदलने पर जिनके ,
      बदलने पर वो अपना अपना ही न रहेगा 
डरता हु उन यादों से जिनके ,  
    याद आने पर वो यादें चहरे का नूर नूर न रहेगा ,
डरता हु उन रिश्तों से जिनमें,
    कुछ दूरियां आने पर वो रिश्ता रिश्ता न रहेगा ,
डरता हु यकीन करने पर ,
    जिसके टूटने पर यकीन यकीन न रहेगा ,
घबराता हु अपने आज को देखकर कल के लिए,
  मगर खुद पर यकीन है की
वक्त  को कुछ इस तरह बदल कर रख दूंग 
की  घड़िया तो सबके पास हूंगी 
मगर वक्त सिर्फ मेरा ही चलेगा 😊🤫
           ✍️अनाम✍️

©प्यार_से_कलम
  डरता हु ....
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