#हसदेव अरण्य बचाओ# मैं हसदेव अरण्य हूँ, न चलाओ मुझपर आरी, मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी।। तनिक दया भी न आई तुमको,जो ऐसा वज्रपात किया, मैंने तुमको साँसे दी और तुमने मुझपर ही आघात किया।। मैना गुमसुम बैठी है, बंदर,बायसन,गजराज हुए बेघर, तुमने उनको बर्बाद कर दिया,अपनी इक जिद्द पर।। देखो मेरे अंदर कितनी पीड़ा है और है कितनी लाचारी, मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी।। आदिम जिनको कहते हो वह निकले भगवान, तुम पढ़ लिख कर भी न बन पाए इंसान।। तुमको अपनी ताकत और सत्ता पर है बड़ा घमंड, समय न्याय करेगा तुम्हारा और मिलेगा तुमको दंड।। पैसों के लालच मे तुम बन बैठे हो अत्याचारी, मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी। ©Saurabh Dubey #NatureLove