Nojoto: Largest Storytelling Platform
saurabhdubey7993
  • 10Stories
  • 4Followers
  • 78Love
    0Views

Saurabh Dubey

यायावर

  • Popular
  • Latest
  • Video
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

कष्टों से मिलती मुक्ति, 
हर लेती सारा पाप। 
करके तो बस देखो तुम ,
श्रीराधा नाम का जाप।। 

राधा ही हैं इस जग मे ,
प्रेम का कोमल भाव। 
राधे राधे रटते कृष्ण भी ,
ऐसा है श्रीजी का प्रभाव।। 

राधा ही तो हैं कृष्ण की ,
संपूर्ण शक्ति का केंद्र। 
राधे राधे कहते जाओ, 
हो जाओगे तुम मानवेंद्र।। 

ध्यान धरो नित राधा का ,
कृष्ण मिलेंगे अपने आप। 
कष्टों से मिलती मुक्ति,
 हर लेती सारा पाप। 
करके तो बस देखो तुम, 
श्रीराधा नाम का जाप।।
     -सौरभ

©Saurabh Dubey #janmashtami
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

कष्टों से मिलती मुक्ति,
हर लेती सारा पाप। 
करके तो बस देखो तुम,
श्रीराधा नाम का जाप।। 

राधा ही हैं इस जग मे, 
प्रेम का कोमल भाव। 
राधे राधे रटते कृष्ण भी,
ऐसा है श्रीजी का प्रभाव।। 

राधा ही तो हैं कृष्ण की,
संपूर्ण शक्ति का केंद्र। 
राधे राधे कहते जाओ,
हो जाओगे तुम मानवेंद्र।। 

ध्यान धरो नित राधा का,
कृष्ण मिलेंगे अपने आप। 
कष्टों से मिलती मुक्ति, 
हर लेती सारा पाप। 
करके तो बस देखो तुम, 
श्रीराधा नाम का जाप।।
  - सौरभ

©Saurabh Dubey
  राधाअष्टमी

राधाअष्टमी #कविता

a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

छोड़ जाना हमेशा सरल होता है 
कठिन है
महावीर होते हुए भी बजरंगी का सेवक होना, 
उर्मिला का निद्रा को अपने वश मे करना,
कृष्ण का जगतपति होते हुए भी ग्वाला होना, 
पांचाली का वहशियों के बीच गोविंद को पुकारना, 
राजा बनाने वाले विष्णुगुप्त का आचार्य चाणक्य होना, 
भगत की तरह फांसी के फंदे को चूमकर मौत को गिरफ्त मे लेना, 
माँझी की तरह पर्वतों का सीना चीर रास्ता बना देना
कठिन है पीड़ा के बीच मुस्कुराना, 
कठिन है डर के बीच उत्साह बनाये रखना, 
उनके पास भी था छोड़ जाने का विकल्प
 मगर उन्होंने उसे नकार कर कठिनाई का वरण किया।।

         -सौरभ

©Saurabh Dubey
  कठिन

कठिन #कविता

a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

जीवन की आपाधापी मे न जाने कितनी साँसे तिरोहित हो गयी, 
जो तिरोहित न हुआ वह था प्रेम, 
प्रेम जिसमे मिलने की लालसा नही थी 
जिसमे देखने की आशाएँ नहीं थी,जिसमे खोना और पाना नही था।।।

 प्रेम जिसमे है तो बस 
अंतस मे उतर कर सारी पीड़ाओं को हर लेने वाली 
चंद्र की ध्वालाकृति की तरह तुम्हारी उजली छवि, 
है तो बस दिव्यता की अनुभूति करा देने वाला
 तुम्हारा वह अनुगुंजित मधुर स्वर, 
है तो बस वह कुपित होने का अभिनय
 जो तुमने मेरी नादानियों पर किया।। 

सोचता हूँ सांसों की पूर्णाहुति धीरे धीरे अवश्य ही पूरी होगी
 किंतु प्रेम बिना पूर्णाहुति के भी पूर्ण है।। 

                     -सौरभ

©Saurabh Dubey
  #BehtiHawaa
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

हे शिव, शंकर, भोले अविनाशी,

हो महादेव, उमापति तुम कैलाशवासी।। 

आदि हो, अनंत हो, जड़ और चेतन भी हो तुम, 

हरि के हृदय हो और ब्रम्ह के मन भी हो तुम।। 

हो सृष्टि के रचयिता तुम और योगियों के अलंकार, 

हो गृहस्थ मे शंकर तुम और ज्योति रूप मे निराकार।। 

हो तुम मशान और घट-घट वासी 

और करती निवास है तुममें काशी, 

हे शिव, शंकर, भोले अविनाशी,

हो महादेव, उमापति तुम कैलाशवासी।१।

पशुपति हो,  हो भक्तवत्सल और विकराल भी तुम, 

हो विश्व के नाथ और कालों के काल महाकाल भी तुम।। 

तुमसे ही प्रस्फुटित हुआ है ओमकार का गान, 

और निकला है तुमसे ही वेदों का सारा ज्ञान।। 

तुम ही तो चिर मौन हो और हो डमरू का नाद, 

धरते हैं जो ध्यान तुम्हारा होते नही उनको विषाद।। 

भक्ति योग से तृप्त आत्मा बची नही है प्यासी, 

पाकर तुमको धन्य हुआ मन, नही रहा अभिलाषी, 

हे शिव, शंकर, भोले अविनाशी,

हो महादेव, उमापति तुम कैलाशवासी।२।

©Saurabh Dubey #Shiv
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

हे शिव, शंकर, भोले अविनाशी,

हो महादेव, उमापति तुम कैलाशवासी।। 

आदि हो, अनंत हो, जड़ और चेतन भी हो तुम, 

हरि के हृदय हो और ब्रम्ह के मन भी हो तुम।। 

हो सृष्टि के रचयिता तुम और योगियों के अलंकार, 

हो गृहस्थ मे शंकर तुम और ज्योति रूप मे निराकार।। 

हो तुम मशान और घट-घट वासी 

और करती निवास है तुममें काशी, 

हे शिव, शंकर, भोले अविनाशी,

हो महादेव, उमापति तुम कैलाशवासी।।

©Saurabh Dubey #Shiv
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

कुछ प्रश्न मस्तिष्क मे प्रस्फुटित हो रहे, 

क्यों? समाज के नियमक पुरुष ही होते हैं,

कोई स्त्री क्यो नहीं? 

प्रश्न पर विचार करते हुए इस तथ्य पर पहुँचा कि, 

विकास के क्रम मे पुरुष अब भी असभ्य है सभ्यता के विकास हेतु उसे समाजिक नियमों की आवश्यकता है, किंतु स्त्री का संपूर्ण विकास, सभ्यताओं के विकसित होने के पूर्व ही हो चुका है!! 

                                  -सौरभ दुबे

©Saurabh Dubey #Dream
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

अधर्म का कलियुग मे बढ़ रहा है नाम, 
धरती पर फिर लौट आओ हे राम!! 

मर्यादाओं को भूल मनुष्य बन बैठा कुलघालक, 
इनको पथ पर ले आओ हे दयासिंधु प्रतिपालक ! 

पाप,अधर्म और व्यभिचार से घिरा हुआ है मानव, 
धरती पर उनकी क्या आवश्यकता ये सोच रहें हैं दानव!! 

हे प्रभु तम को हरकर सत्य प्रकाशित करो,
जिससे बन जाए यह धरती बैकुंठ धाम, 
धरती पर फिर लौट आओ हे राम!!

                       -सौरभ दुबे

©Saurabh Dubey
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

#हसदेव अरण्य बचाओ#

मैं हसदेव अरण्य हूँ, न चलाओ मुझपर आरी, 

मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी।। 

तनिक दया भी न आई तुमको,जो ऐसा वज्रपात किया, 

मैंने तुमको साँसे दी और तुमने मुझपर ही आघात किया।। 

मैना गुमसुम बैठी है, बंदर,बायसन,गजराज हुए बेघर, 

तुमने उनको बर्बाद कर दिया,अपनी इक जिद्द पर।। 

देखो मेरे अंदर कितनी पीड़ा है और है कितनी लाचारी, 

मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी।।

आदिम जिनको कहते हो वह निकले भगवान, 

तुम पढ़ लिख कर भी न बन पाए इंसान।। 

तुमको अपनी ताकत और सत्ता पर है बड़ा घमंड, 

समय न्याय करेगा तुम्हारा और मिलेगा तुमको दंड।। 

पैसों के लालच मे तुम बन बैठे हो अत्याचारी, 

मेरी चीखों को सुनकर रो पड़ेगी छत्तीसगढ़ महतारी।

©Saurabh Dubey #NatureLove
a24ca509e6a5e91504c0c5af06ad631f

Saurabh Dubey

जिंदगी से चल रही हर रोज जंग है, 

गिरकर उठने का मुझे सिखा रही ढंग है। 

 होता था बड़ा फीका-फीका सा अहसास मुझे, 

 मगर जिंदगी भर रही अब मुझमें भी रंग है।

 माना है तेरी रफ़्तार बड़ी तेज तर्रार ऐ जिन्दगी, 

 पर आता है हमे भी मिलाना कदम संग है।

 पता है मुझे तेरे सामने अदना सा हूँ मैं, 

  मगर मेरे हौंसलों को देखकर तु भी तो दंग है।

 सुनहरी मंज़िलें भी मिलेंगी जरूर तुम्हें सौरभ, 

 मगर चलना होगा वहाँ भी जहाँ रास्ते बड़े तंग है।

                                 -सौरभ दुबे “संकल्प”

©Saurabh Dubey #OneSeason
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile